मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

जब लडका पैदा होता है,तब थाली बजा कर चिल्ल्लाया जाता है,कि कानी लडकी पैदा हुई है.

लडके की खुशी इसी तरह देहातों में मनाई जाती है.और जब लडकी पैदा होती है तब कहा जाता है कि लछ्मी घर में आयीं हैं,इससे अफ़सोस को दबाया जाता है.लेकिन जो कानी लडकी पैदा हुई थी,वही बाद में मुशीबत हो जाती है क्योंकि काना देखना और कहना दोनों के अन्जाम अच्छे नहीं होते हैं.
जो लछ्मी पैदा होती है,वही बाद में कुल्टा कलंकिनी,बेहया और कई अन्य विशेशणों से दर्सायी जाती है.यदि लछ्मी का सन्जोग माँ से बन गया तो मैयका अच्छा और ससुराल बुरी हो जाती है.यदि इसके विपरीत माँ से सन्जोग न बना तो ससुराल सुख की खान हो जाती है.