tag:blogger.com,1999:blog-51938436867134903532024-02-20T06:25:07.786-08:00आनन्द निकेतनBhadauriahttp://www.blogger.com/profile/11863891611126955771noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5193843686713490353.post-53090173779755573182011-03-13T06:31:00.000-07:002011-03-13T07:00:53.266-07:00जापान की त्रासदी-हमारे लिये भविष्य की चेतावनी<img src="http://economictimes.indiatimes.com/thumb.cms?msid=7693273&width=300&resizemode=4" alt="Fukushima Nuclear plant" /><div><br /></div><div>हमारे बडे बडे नगर और उनका विकास भी समुद्र के किनारे ही किया जा रहा है.आणविक बिजली घरों की भी स्थापना भी उन नगरों के राजनीतिक दबाब के साथ किया जा रहा है,जहां स्थापना होती है,वहां के निवासियों की आवाज भी दर किनार कर दी जाती है.</div><div>जापान तो हमेशा ही इन परिस्थितियों का सामना करने के लिये तैयार रहता था,लेकिन वह भी प्रकति के इस प्रकोप से न बच सका.ह तो नदियों की बाढ को ही प्रकोप मानते हैं,और उसकी भी तैयारी पिछले साठ सालों से ही लगातार होती रहती है,लेकिन बाढ आने पर सब व्यवस्था धरी रह जाती है.</div><div>एन सुनामी आया था ,उसके दर्द को हम आज तके नही भूले.भूकंप गुजरात, महाराष्ट्र आये,लोगों की आँसू आज भी बह रहे हैं,हम उन को आज भी स्थापित नहीं कर पाये,और दिये गये,अनुदान-दान-राहत को भी पी गये.</div><div>यदि भविष्य में,जापान जैसी विपदा,गुजरात ,महाराष्ट्र,केरल,चेन्नई, मे आती है,तब शायद हम फ़िर से एक गरीब देश हो जायेंगे,जैसा कि जापान कहता है कि अब उसे पचास साल लगेंगे,पुरानी व्यव्स्थाओं को स्थापित करने में.</div><div>हमे एक बार सोचना होगा कि,आगे अब विकास की गति कहाँ और कैसे बढायी जाय.</div><div>परिमाणु संचालित बिजली घर कहाँ स्थापित किये जायें,पर्यावरण विभाग को योजना बनानी होगी.</div><div>हम मानवों को उस त्रासदी से कैसे सुरक्षित कर पायेंगे.</div>Bhadauriahttp://www.blogger.com/profile/11863891611126955771noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5193843686713490353.post-25527918258550749642011-02-09T05:00:00.000-08:002011-02-09T05:34:59.526-08:00भगवान शंकर ने तो एक बार ही विषपान किया था.हमारे वेद पुराण यही कहते हैं,कि समुन्द्र मंथन पर भगवान शंकर ,मंथन से प्राप्त विष को ग्रहण किया था,और उसको अपने गले मे धारण कर लिया था .उनको इसी से नीलकंठ से सुशोभित किया था.<div>लेकिन मानव तो रोज ही विषपान करता है,साथ उसको उदरस्थ भी कर लेता है.उदरस्थ हो जाने से उसके हृदय से संवाहित होने वाली भावनायें भी उस विष से प्रभावित हो जाती हैं.</div><div>वे भावनायें क्या गुल खिलायेंगी,वह उस मानव को भी नही ज्ञात होता है.कानपुर के हेलेट अस्पताल मे भर्ती दो कन्यायें,जिनके साथ उस मानव ने उन्हीं भावनाऒ के तहत क्या नहीं किया,वर्णित नही किया जा सकता,उसके दुष्परिणाम उन कन्याओं को आजीवन भोगना होगा.</div><div>इसी विषपान के प्रभाव मे, आज कितने लोग, सोनियां गांधी, , मायावती ,ममता बनर्जी,विजयललिता,सुषमा स्वराज,मीराकुमार,आदि आदि प्रतिष्ठित महिलाओं को क्या क्या नही कहते रहते हैं,काश्मीरमे महिलाओं पर कितने अत्याचार हुये और किये जा रहे हैं,देश मे महिला वर्ग का शोषण,अगवा करना,बलात्कार करना,यदि वर्णन किया जाय,तो एक महाभारत और तैयार हो जायेगा.</div><div><br /></div><div>इसी विषपान के दुष्परिणाम ने ,राजस्थान के एक राज्यमंत्री ने हमारी महामहिम राष्ट्रपति को भी नही बख्शा.उनको यहां तक कह दिया कि वह स्व. इन्दिरा गांधी की रसोई पकाती थीं.</div><div>तीन साल से अधिक की नावालिग की कन्याऒ पर बलात्कार करना ,इस विष के प्रभाव की पराकाष्ठा को ही पार कर दिया है.</div><div>हे शंकर भगवान इस विष के प्रभाव को भी ग्रहण कर लीजिये,स्त्री जाति को बचा लीजिये,या उनकी उत्पत्ति पर ही रोक लगाने के लिये ब्रह्मा जी से सिफ़ारिश कर दीजिये,अब देखा नहीं जाता,सहन नहीं होताहै. </div>Bhadauriahttp://www.blogger.com/profile/11863891611126955771noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-5193843686713490353.post-88048859334369936292010-04-20T03:50:00.000-07:002010-04-20T04:02:20.307-07:00जब लडका पैदा होता है,तब थाली बजा कर चिल्ल्लाया जाता है,कि कानी लडकी पैदा हुई है.<span style="font-family: arial;">लडके की खुशी इसी तरह देहातों में मनाई जाती है.और जब लडकी पैदा होती है तब कहा जाता है कि लछ्मी घर में आयीं हैं,इससे अफ़सोस को दबाया जाता है.लेकिन जो कानी लडकी पैदा हुई थी,वही बाद में मुशीबत हो जाती है क्योंकि काना देखना और कहना दोनों के अन्जाम अच्छे नहीं होते हैं.<br />जो लछ्मी पैदा होती है,वही बाद में कुल्टा कलंकिनी,बेहया और कई अन्य विशेशणों से दर्सायी जाती है.यदि लछ्मी का सन्जोग माँ से बन गया तो मैयका अच्छा और ससुराल बुरी हो जाती है.यदि इसके विपरीत माँ से सन्जोग न बना तो ससुराल सुख की खान हो जाती है.<br /></span>Bhadauriahttp://www.blogger.com/profile/11863891611126955771noreply@blogger.com0