रविवार, 13 मार्च 2011

जापान की त्रासदी-हमारे लिये भविष्य की चेतावनी

Fukushima Nuclear plant

हमारे बडे बडे नगर और उनका विकास भी समुद्र के किनारे ही किया जा रहा है.आणविक बिजली घरों की भी स्थापना भी उन नगरों के राजनीतिक दबाब के साथ किया जा रहा है,जहां स्थापना होती है,वहां के निवासियों की आवाज भी दर किनार कर दी जाती है.
जापान तो हमेशा ही इन परिस्थितियों का सामना करने के लिये तैयार रहता था,लेकिन वह भी प्रकति के इस प्रकोप से न बच सका.ह तो नदियों की बाढ को ही प्रकोप मानते हैं,और उसकी भी तैयारी पिछले साठ सालों से ही लगातार होती रहती है,लेकिन बाढ आने पर सब व्यवस्था धरी रह जाती है.
एन सुनामी आया था ,उसके दर्द को हम आज तके नही भूले.भूकंप गुजरात, महाराष्ट्र आये,लोगों की आँसू आज भी बह रहे हैं,हम उन को आज भी स्थापित नहीं कर पाये,और दिये गये,अनुदान-दान-राहत को भी पी गये.
यदि भविष्य में,जापान जैसी विपदा,गुजरात ,महाराष्ट्र,केरल,चेन्नई, मे आती है,तब शायद हम फ़िर से एक गरीब देश हो जायेंगे,जैसा कि जापान कहता है कि अब उसे पचास साल लगेंगे,पुरानी व्यव्स्थाओं को स्थापित करने में.
हमे एक बार सोचना होगा कि,आगे अब विकास की गति कहाँ और कैसे बढायी जाय.
परिमाणु संचालित बिजली घर कहाँ स्थापित किये जायें,पर्यावरण विभाग को योजना बनानी होगी.
हम मानवों को उस त्रासदी से कैसे सुरक्षित कर पायेंगे.

1 टिप्पणी:

  1. अब यह कहना गलत होगा कि हम जापान की स्थितिसे सुरक्षित हैं. प्रकृति की कथा अनिश्चित है.हम कल्पनाओं के सागर से अलग सोचें.हमे अपने मानवों के जीवन की हर हालत मे सुरक्षित रखना है.
    हमें एक होना पडेगा,

    जवाब देंहटाएं